Monday, December 31, 2018

बारिश "Barish" Hindi Lyric- Yahya Bootwala Love Poetry

दोस्तों, मौसम कैसा भी हो, पर अगर आप  अपने प्रेमी के साथ हैं तो मौसम सुहावना हो ही जाता है, आपको हमेशा  उसके साथ बिताये पलों की यादें आती हैं |  प्यार एक अद्भुत और बहोत अनमोल रिश्ता होता है जिसे हमें हमेशा जिन्दा रखना चाहिए तथा अपने रिश्ते को बनाये रखना चाहिए तथा हमेशा अपने प्रेमी को खुश रखना चाहिए | 
क्योंकि कहा जाता है की सच्चा प्यार बहोत नसीब वालों को मिलता है | 
अकसर देखा जाता है की प्रेमी जोड़ों को अकेले में एक -दूसरे साथ घूमना बहोत अच्छा लगता है| 
मुझे तो भाई बहोत """""

बहोत से लोंगो को बारिश का मौसम बहोत अच्छा लगता है और शायद वो अपने प्रेमी के साथ इस समय  के लिए कोई Moment जरूर Create करके  रखते होंगे| 
मुझे तो बारिश बहोत पसंद है, बहोत 


दोस्तों, आज मै आप सभी लोगों के लिए याह्या बूटवाला जी की एक बहोत प्यारी कविता का हिंदी लिरिक लेकर आया हूँ जिसे मैंने यंहा पर लिखा है, सोशल मीडिआ पर इसे आज तक 3 मिलियन से भी ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं |  मुझे आशा है की आप लोगों को ये कविता बहोत प्यारी लगेगी| 
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"बारिश"


Hindi Lyric- Yahya Bootwala Love Poetry

आज बारिश की ताज़गी  ने तुम्हारी याद सी दिला दी 
तुम कहती थी न 
कि  तुम्हे बारिश बहोत पसंद है | 

तो बस ऐसे ही पहली बूँद सर पर गिरी 
तुम्हारी याद सी आ  गयी,
कुछ किस्से  याद आ गए 



जैसे----

याद है  कैसे मै तुम्हारे चेहरे की तरफ देख कर 
खोया-खोया सा रहता था,
बिन वजह मुस्कुराया करता था | 

पूछा करती थी की 
क्या देख रहे हो 
उस बात से बिलकुल अनजान बनने की कोशिश की 
तुम्हे देख रहा हूँ | 

क्यूँ न देखूं,

उन आँखों को जो कहानियां सुनाते-सुनाते उन्हें जिया भी करती थी,

कभी-कभी ख़ुशी के मारे 
इतनी बड़ी हो जाया करती थी की 
मानो ऐसा लगे,
की किसी तार्रे ने जन्म लिया हो | 

तो कभी अपनी आंशुओं के बोझ के तले छोटी हो जाया  करती थी 

और, फिर जान-बूझकर अपनी लटों को अपने कानों के पीछे करने  वाली आदत तुम्हारी,
के बार-बार तुम अपने, अपने झुमके दिखाना चाहती हो,

तुम चाहती थी की न मै उनकी तारीफ करूँ 

है ना,,

तुम्हे उनपे बहोत गुरुर है,

बिलकुल अपनी ईमानदारी की तरह 

फिर अचानक् ही तुम कभी -कभी पूछ लेती थी की,


प्यार क्यूँ करते हो??

की  मानो सवाल में कंही डर सा छुपा हो,
की कुछ  ऐसा न कह दूँ 

जो तुम्हे एक प्यार की आश दे, 
की ऐसा प्यार जो तुम कर चुकी हो | 

एक ऐसा प्यार जो तुम खो चुकी हो

पर तुम फिर भी सुनना चाहती हो 

क्योंकि सुने बिना तो तुमसे रहा भी नही जाता 


या फिर ऐसे प्यार की चाहत तुममें आज भी जिन्दा है,

खैर जो भी,

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मै  कुछ नहीं कह पता था| 

क्योंकि, क्या कहता सारा कसूर तुम्हारी आँखों पर थोप देता,
या तुम्हारे नादान हरकतों पे,
तुम्हारे मुस्कान को वजह कह देता ,
या तुम्हारी कहानियों को | 

एक वजह  समझ में आता तो 
मै बता भी देता। 
पर,,,नहीं पता था | 

तो, एक बेवकूफ की तरह मुस्कुराता रहता था
पर तुम कान्हा समझती हो आज भी 
यही  सोचती हो की रिश्ते के दायरे बढ़ाने से 
ये रिश्ते ही न गँवा बैठो | 


तुम आज भी यही कहती हो की 
प्यार शायद हमें पास नहीं दूर करदे,

इसीलिए बहोत सोच समझ कर घूमती हो मेरे साथ,

थोड़ा दूर ही रखती हो मेरे से ताकि थोड़ा कम ही प्यार करूँ तुमसे,

ताकि मेरे नशीब थोड़ा कम दर्द आये 
ताकि ये रिश्ता थोड़ा लम्बा ही चले,
जैसा है वैसा ही रहे,


प्यार से छेड़खानी का पर प्यार का नहीं || 


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